दिल काशी हो गया

Sunday, June 19, 2011



दिल काशी हो गया,
दिल काबा हो गया.
रब ने मुझे रब से मिला दिया,
जो तुने मेरे दिल में घर बना लिया.
मस्जिद थी घर से बहुत दूर,
इसीलिए उसने तुझे ही खुदा,
बना कर मेरे दिल में बसा दिया.

सच कहा है किसी ने,
देता है जब ऊपर वाला तो छप्पर फाड़ कर देता है.
माँगा था दो दिन की ख़ुशी खुदा से, 
उसने सारी जिंदगी का इंतज़ाम कर दिया,
जो उसने तेरे घर का रास्ता दिखा दिया.

जिंदगी को सबारने की कोशिश में,
धुप में अपनी मंजिल की तलाश में,
भटक रहा था में इधर उधर.
खुदा से शायद मेरा दर्द देखा न गया,
इसीलिए उसने तुम्हे मेरी  मंजिल बना दिया. 

खुदा तुझे में शुक्रिया अदा करूँ कैसे?
मांग रहा था में छोटी छोटी खुशियाँ,
तुने तो मुझे खुशियों का खजाना ही दे दिया.
अब बस इल्तेज़ा है इतनी,
आँखें बंद न होने देना मेरे मेहबुब की,
जो तुझे हो जल्दी मेरे फूल को अपने पास बुलाने की,
तो पहले इस माली को अपने पास बुला लेना.



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