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Ghazal

Sunday, October 14, 2012

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दोस्तों की महफ़िल में बैठ कर,
जब तेरी बातें किया करतें थें।
लोग उसे ग़ज़ल समझ कर,
वाह वाह किया करतें थें।



माँ याद मुझे तेरी बहुत आती है

Thursday, June 14, 2012

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शाम होने पे परिंदे भी
घर लौट जातें हैं।
वक़्त  के अँधियारो में खोयी यादें भी
मन के गलीचों में लौट जातीं हैं।
मेरे गाँव की यादें मुझे याद आतीं हैं
माँ की वो सारी बातें याद आतीं हैं।

सुबह पाठशाला जाता था जब
माँ प्यार से मेरा जबीं चूमतीं थीं तब।
और बक्से में प्यार में डूबी
2-4 रोटियाँ रखतीं थीं तब।
मेरा माथा आज फिर चूम लो माँ
प्यार से 2-4 रोटियाँ अपने हाथों से खिला दो माँ।

अपनी आँचल तले रात में जब
माँ लोरी गा कर सुलाती थी तब।
सो जाता था गहरी नींद में मै
ख़्वाबों की दुनिया में खो जाता था मै।
वो आँचल की छावं फिर दे दो माँ
लोरी गा कर आज फिर सुला दो माँ।

दोस्त होतें नहीं थें आस पास जब
माँ तुम मेरी उलटी सीधी कहानियाँ सुनती थीं तब।
अपनी बातों से तुम्हे परेशान किया करता था मै
तेरी ख़ामोशी को दूर किया करता था मै।
आज माँ खामोशियों ने जकड रखा है मुझे
बातें फिर तुमसे करने को जी चाहता है मुझे।

गाँव अपना छोड़ परदेश जा रहा था जब
नम तेरी आँखों से दुआएं आ रहीं थीं तब।
हर महीने तेरे गीले खतों मे
लिखती थी तू वही बातें।
लौट आ मेरे बेटे तुझे कसम है मेरी
तू जब से गया परदेश बेचैन हैं आँखें मेरी।

माँ में तुझे कैसे बताऊँ
नींद मुझे भी अब आती नहीं
भूख मुझे भी अब लगती नहीं।
बहुत चाहा न रोऊँ मगर
ख़त तेरा मुझे बहुत रुलाती है
माँ याद मुझे तेरी बहुत आती है। 



Some of the Urdu words & their meaning:-

  • गलीचों - Garden
  • जबीं - Forehead
  • ख्वाब - Dream

ऐसा होता है क्यूँ?

Sunday, June 10, 2012

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है नहीं जो,
वो दिखाई देता है क्यूँ?
मोहब्बत में ऐसा हाल होता है क्यूँ?

है नहीं जो अक्स आईने में,
वो दिखाए देता है क्यूँ?
इश्क ऐसे हालत बना देता है क्यूँ?

ग़ालिब ने भी  ऐसा सोचा न होगा,
दर्द-इ-दिल पे इतने ग़ज़ल कभी लिखे जाएंगें,
मोहब्बत में आँसू हज़ारों बहाए जायेंगें।


कैसे भूलें

Monday, December 26, 2011

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आज सोचा
तुमने हमें भूला दिया
तो हम भी तुम्हे भूला दें ,
पर भूलें भी तो कैसे भूलें
जान बुझ कर तुम्हे दिल में बसाया नहीं
तो जान बुझ कर कैसे भूला दें?



शिकायत

Saturday, December 17, 2011

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                       गैरों के पास वक़्त होता है कहाँ
की वो किसी को रुला सकें
अपनों ने ही रुलाया है जब हमें
तो शिकायत किस्से से करें?  

कातिल

Sunday, December 11, 2011

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अपने कातिल पर भी मुझे प्यार आता है
जब उनकी याद दिल में आती है
हाँ ये सच है की क़त्ल किया है उसने मेरा
पर माफ़ ये सोच कर कर देता हूँ की
क़त्ल करने के लिए ही सही वो मेरे पास तो आयीं.

यकीन आज भी ये है की वो मेरे कब्र
पर आतीं होगीं फूल ले कर
यकीन आज भी ये है की वो रोतीं नहीं होंगीं
मेरे  कब्र पर सर रख कर
फिर भी खुश हो लेतें हैं ये सोच कर
की हँसतीं भी तो नहीं होंगीं आ कर मेरे कब्र पर.



क्यूँ...

Sunday, October 23, 2011

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सच्ची वफ़ा लिए हम तो मोहब्बत कर रहें थें,
आपकी नज़रों में शायद खता कर रहें थें.
आप रूठ कर बैठें हैं हम से, मनायें भी तो कैसे,
हमें तो ये भी ख़बर नहीं, क्यूँ रूठें हैं आप हम से.

कैसे बताएं हम आपको,
आपकी फिक्र में दिल मेरा भी रोया है,
रोते दिल से आप के लिए हमेशा दुआ निकला है.

आते जाते जब भी कभी आपसे मुलाकात हुई,
आप ने सिर्फ सिक्बे शिकायतों के दौड़ ही छेडें,
खामोखां गिला आप हमसे क्यूँ कर रहीं हैं?

देखते ही आप हमसे दूर क्यूँ भाग जातीं हैं,
नज़रों को किसी और दिशा में क्यूँ मोड़ लेतीं हैं,
बे बजाह आप हमारे दिल को क्यूँ सता रहीं हैं?




Some of the Urdu words & their meaning:-

  • वफ़ा - Fulfilling a promise
  • खता - Mistake

प्यार का एहसास

Monday, September 05, 2011

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प्यार का प्यारा सा एहसास करवानें लगीं हैं आप,
हम से हमीं को चुराने लगीं हैं आप.

उफ़ आप का ये भोला सा मासूम माह्वश,
हमें अब अपनी आदाओं से सताने लगीं हैं आप.
सुनी पड़ी थी जिंदगी आप से जब न मिलें थें हम, 
मुस्कुराहटों को मेरा अब पता बताने लगीं हैं आप. 
हर तरफ धुप से घिरी जिंदगी थी हमारी, 
प्यार की बारिश को हमारा हमसफ़र बनाने लगीं हैं आप. 
सुरूर आपकी महक का छाया है कुछ इस कदर, 
की चारो ओर बस नज़र आने लगीं हैं आप.  
हर पल आप के साथ होने का एहसास होता है इस कदर,
जैसे हर आती जाती साँस में समायें लगतीं हैं आप. 
लबों पे हर पल घर बनाये रहता है नाम आपका, 
कोई जादू सा बन के जिंदगी में समाने लगीं हैं आप.
अपनी ओर जाने किस डोर से खेंच रहीं हैं आप, 
दीवानों की फेहरिस्त में नाम हमारा सामिल करवाने लगीं हैं आप.
दिल  मुन्नबर होता है हमारा आपकी यादों से कुछ इस कदर,
की कटी नसों से भी बहार आने लगीं हैं आप.  
सुनी राहों पे चलते हुए होता है ये गुमान, 
की साथ साया बन के चलने लगीं हैं आप.  
तसुव्वर में अक्सर महसूस होता है ये हमें, 
छोड़ के दुनिया मेरी बाँहों में समाने लगीं हैं आप. 
दूरी एक पल की भी आप से मंज़ूर नहीं हमें,
जुदा होके आजमाने क्यूँ लगीं हैं आप? 
कम से कम ये तो बताते जायें, की क्या नाम दूं इस दीवानगी को, 
हर लम्हा बेचैन कर के तडपाने लगीं हैं आप. 
जाने आपको एहसास इस बात का होगा कब, 
हर एक ग़ज़ल हर एक नज़्म में आने लगीं हैं आप.


Some of the Urdu words & there meaning:-
  • माह्वश -  Having a face as beautiful as the moon
  • सुरूर - Pleasure
  • फेहरिस्त - List 
  • मुन्नबर - Illuminated
  • गुमान - Doubt
  • तसुव्वर - Imagination
  • नज़्म - Verse

आप पत्थर क्यूँ बनें हैं

Saturday, August 20, 2011

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आप पत्थर क्यूँ बनें हैं
यहाँ देवताओं की कमी नहीं है.
आप इंसान जो बन जायें,
तो थोड़ी सी मोहब्बत हम भी कर लें.



कोई गम नहीं

Friday, August 19, 2011

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हमें रुलातें रहें आप कोई गम नहीं,
हमें भूलतें रहें आप कोई गम नहीं.
पर जीस दिन हमने भुला दिया आपको,
समझ जायेगा उस दिन से दुनिया में हम नहीं.

हमें याद कर लेना

Saturday, August 06, 2011

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लबों  पे तेरे नाम अब गैरों का आता है अक्सर,
दोस्तों के बीच कभी बैठो तो हमें याद कर लेना.

महफ़िल में तेरे आज रोशिनिओं का मेला है,
अंधेरों से कभी घिर जाओ तो हमें याद कर लेना.

मश्रोफियत के शहर में रहती हो तुम आज कल,
फुर्सत की गली मिल जाये तो हमें याद कर लेना.

गैर होतें कब अपनें हैं छोड़ जातें हैं सभी, 
जो साथी कभी तलाश करो तो हमें याद कर लेना.

खेल कर तोडा जिसे तुमने वो खिलौना नहीं दिल था मेरा,
जो दिल तेरा कोई कभी तोड़ दे तो हमें याद कर लेना.

साथ नहीं हो तो क्या हुआ

Thursday, July 28, 2011

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साथ नहीं हो तो क्या हुआ,
दूर मुझ से और तुम जाना नहीं.
पास नहीं हो तो क्या हुआ,
खावों से मेरे तुम निकल जाना नहीं.
शहज़ादी हो तुम मेरी,
मेरे तसुवुर से निकल जाना नहीं.

आप मिलीं हमें

Sunday, July 10, 2011

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आप जब तक न थीं पास हमारे
एक अजनबी की थी तलाश हमें,
किसकी थी वो तलाश हमें
जाना तब जब आप मिलीं हमें.

आप जब तक न थीं पास हमारे
एक अजीब सी थी प्यास हमें,
क्यूँ थी वो प्यास हमें
जाना तब जब आप मिलीं हमें.

आप जब तक न थीं पास हमारे
एक खुशबू की थी तलाश हमें,
किसकी खुशबू की थी तलाश हमें
जाना तब जब आप मिलीं हमें.

आप जब तक न थीं पास हमारे
एक नाम की थी तलाश हमें,
किसके नाम की थी तलाश हमें
जाना तब जब आप मिलीं हमें.

तस्वीर

Sunday, July 03, 2011

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जो मिल जाये तुम्हारी तस्वीर कभी,
तो उलझन में पड़ जाऊँगा मैं. 
मंदिर में रखूंगा किस्से,
भगवान को या तुम्हे,
परेशानी में पड़ जाऊँगा में.

बात तो होगी वो बाद की,
गंगा जल में लऊँगा कहाँ से?
हाथ जो धोने होंगें मुझे,
तस्वीर तुम्हारी छुने के लिए.

वो हवा

Wednesday, June 22, 2011

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अर्सा सा हो गया है वो हवा नहीं आई,
उस हसीं दोस्त की कोई खबर नहीं आई.
सोचा में ही कोई गीत लिख दूँ,
अपना हाल--दिल उन्हें लिख दूँ.

सदियाँ सी बीत गयीं हैं मुस्कुराये हुए,
अपना हाल सुनाये, उनका हाल सुने.
आज फिर याद आई आप की तो सोचा पुकार लूं,
अपने दिल के मालिक की खबर ले लूँ.

दिल काशी हो गया

Sunday, June 19, 2011

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दिल काशी हो गया,
दिल काबा हो गया.
रब ने मुझे रब से मिला दिया,
जो तुने मेरे दिल में घर बना लिया.
मस्जिद थी घर से बहुत दूर,
इसीलिए उसने तुझे ही खुदा,
बना कर मेरे दिल में बसा दिया.

सच कहा है किसी ने,
देता है जब ऊपर वाला तो छप्पर फाड़ कर देता है.
माँगा था दो दिन की ख़ुशी खुदा से, 
उसने सारी जिंदगी का इंतज़ाम कर दिया,
जो उसने तेरे घर का रास्ता दिखा दिया.

जिंदगी को सबारने की कोशिश में,
धुप में अपनी मंजिल की तलाश में,
भटक रहा था में इधर उधर.
खुदा से शायद मेरा दर्द देखा न गया,
इसीलिए उसने तुम्हे मेरी  मंजिल बना दिया. 

खुदा तुझे में शुक्रिया अदा करूँ कैसे?
मांग रहा था में छोटी छोटी खुशियाँ,
तुने तो मुझे खुशियों का खजाना ही दे दिया.
अब बस इल्तेज़ा है इतनी,
आँखें बंद न होने देना मेरे मेहबुब की,
जो तुझे हो जल्दी मेरे फूल को अपने पास बुलाने की,
तो पहले इस माली को अपने पास बुला लेना.