है नहीं जो,
वो दिखाई देता है क्यूँ?
मोहब्बत में ऐसा हाल होता है क्यूँ?
है नहीं जो अक्स आईने में,
वो दिखाए देता है क्यूँ?
इश्क ऐसे हालत बना देता है क्यूँ?
ग़ालिब ने भी ऐसा सोचा न होगा,
दर्द-इ-दिल पे इतने ग़ज़ल कभी लिखे जाएंगें,
मोहब्बत में आँसू हज़ारों बहाए जायेंगें।
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