माँ याद मुझे तेरी बहुत आती है

Thursday, June 14, 2012



शाम होने पे परिंदे भी
घर लौट जातें हैं।
वक़्त  के अँधियारो में खोयी यादें भी
मन के गलीचों में लौट जातीं हैं।
मेरे गाँव की यादें मुझे याद आतीं हैं
माँ की वो सारी बातें याद आतीं हैं।

सुबह पाठशाला जाता था जब
माँ प्यार से मेरा जबीं चूमतीं थीं तब।
और बक्से में प्यार में डूबी
2-4 रोटियाँ रखतीं थीं तब।
मेरा माथा आज फिर चूम लो माँ
प्यार से 2-4 रोटियाँ अपने हाथों से खिला दो माँ।

अपनी आँचल तले रात में जब
माँ लोरी गा कर सुलाती थी तब।
सो जाता था गहरी नींद में मै
ख़्वाबों की दुनिया में खो जाता था मै।
वो आँचल की छावं फिर दे दो माँ
लोरी गा कर आज फिर सुला दो माँ।

दोस्त होतें नहीं थें आस पास जब
माँ तुम मेरी उलटी सीधी कहानियाँ सुनती थीं तब।
अपनी बातों से तुम्हे परेशान किया करता था मै
तेरी ख़ामोशी को दूर किया करता था मै।
आज माँ खामोशियों ने जकड रखा है मुझे
बातें फिर तुमसे करने को जी चाहता है मुझे।

गाँव अपना छोड़ परदेश जा रहा था जब
नम तेरी आँखों से दुआएं आ रहीं थीं तब।
हर महीने तेरे गीले खतों मे
लिखती थी तू वही बातें।
लौट आ मेरे बेटे तुझे कसम है मेरी
तू जब से गया परदेश बेचैन हैं आँखें मेरी।

माँ में तुझे कैसे बताऊँ
नींद मुझे भी अब आती नहीं
भूख मुझे भी अब लगती नहीं।
बहुत चाहा न रोऊँ मगर
ख़त तेरा मुझे बहुत रुलाती है
माँ याद मुझे तेरी बहुत आती है। 



Some of the Urdu words & their meaning:-

  • गलीचों - Garden
  • जबीं - Forehead
  • ख्वाब - Dream

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