हमें याद कर लेना

Saturday, August 06, 2011


लबों  पे तेरे नाम अब गैरों का आता है अक्सर,
दोस्तों के बीच कभी बैठो तो हमें याद कर लेना.

महफ़िल में तेरे आज रोशिनिओं का मेला है,
अंधेरों से कभी घिर जाओ तो हमें याद कर लेना.

मश्रोफियत के शहर में रहती हो तुम आज कल,
फुर्सत की गली मिल जाये तो हमें याद कर लेना.

गैर होतें कब अपनें हैं छोड़ जातें हैं सभी, 
जो साथी कभी तलाश करो तो हमें याद कर लेना.

खेल कर तोडा जिसे तुमने वो खिलौना नहीं दिल था मेरा,
जो दिल तेरा कोई कभी तोड़ दे तो हमें याद कर लेना.

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